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संस्कृति और विरासत

कासगंज की संस्कृति और विरासत काफी प्राचीन हैं | कासगंज का अपना सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है।

यह भगवान विष्णु के वराह के महान अवतार से संबंधित है। पौराणिक कहानियों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि राक्षस हिरण्यक्ष ने धरती चुरा ली और इसे सोरों के कुंड में छुपा दिया था । तब भगवान विष्णु ने वराह का अवतार लिया और राक्षस को मार गिराया तथा पृथ्वी को अपने मूल स्थान पर बहाल कर दिया। इस प्रकार, यह मंदिर बुराई पर अच्छाई की जीत मनाने के लिए बनाया गया था।

जिले में पैदा हुए संत तुलसीदास और अमीर खुसरो भी जिले के पटियाली तहसील से संबंधित हैं।

ककोड़ा मेला, भीमसेन मेला और नव दुर्गा मेला आदि कई मेले सालाना आयोजित किए जाते हैं। भक्तगण पूर्ण आस्था के साथ यहाँ आते हैं | जिले का सोरों विकास खण्ड एक पशु मेला की मेजबानी करता है। यहां सभी प्रकार के जानवरों का व्यापार होता है। घोड़ों और ऊंटों की सबसे अच्छी नस्लों का व्यापार होता है। मार्गशीर्ष एकादशी मेला बहुत प्रसिद्ध है। इस दौरान बहुत से लोग पवित्र हर की पौरी में स्नान करने आते हैं।

सोरों एक पवित्र एवं प्राचीन स्थान है, कई मंदिर यहां स्थित हैं, और मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और भारत के कई हिस्सों से श्रृद्धालु यहाँ आते हैं ।

इसके अतिरिक्त गंगा नदी पर एक पुल है, जिसे कछला नाम दिया गया है, जो सोरों से 12 किमी दूर बदायूं जिले में स्थित एक प्रसिद्ध जगह है, लोग यहां पवित्र गंगा स्नान करने के लिए यहां आते हैं।